माफ कीजिए !! जब इन पुस्तकीय पन्नों को आपने पढ़ऩा शुरू कर ही दिया है तो इनके
मार्फत “कुछ बातों” का फैसला करके ही छोडि़ए। यह हमारी जिद्द नहीं, विश्वास है कि आप कुछ फैसला करके ही उठेंगे। इस
पुस्तक से आपकी यह मुलाकात
आर और पार की लड़ाई के माफिक भी हो सकती है। आपको इसकी कौनसी बात अच्छी लगेगी और कौनसी
बुरी-यह हम नहीं जानते, परन्तु यह जरूर जान
पाएंगे कि आज आपने कुछ खास करने के लिए कुछ खास “फैसले” लिए हैं। क्योंकि जिंदगी
में कुछ खास पाने के लिए कुछ खास ही काम करने की जरूरत होती है। इसके लिए जिंदगी
में वो काम भी करने पड़ेंगे जो आज तक आपने नहीं किए हैं। कुछ बातें हैं जो आपके मन में होंगी और कुछ
बातें हैं जो हमारे मन में होगी। कुछ आप कहेंगे तो कुछ हम कहेंगे-इस बीच दोनों का
द्वन्द्व अवश्यंभावी है। आपकी प्रॉब्लम्स हैं, इसके लिए हल हमारे हो सकते हैं। हमारी भी कुछ प्रॉब्लम्स
हैं, उसमें आपकी समझ काम
आ सकती है। हमारा मानना है कि-
आपके लिए एक “मुकाम” है जो आपका इंतजार कर रहा है। आप तैयार हो जाइए एक ऊजाले की ओर चलने को।
वह सुबह आपका इंतजार कर रही है, जिसमें आपके पास होगा कुछ अलग हटकर ही। आप होंगे
कुछ अलग ही। हमारा आपसे कोई कमिटमेन्ट नहीं है कि हम जो यहां बता रहे हैं ये सब आपके
लिए हो ही। फिर भी यह तय करना तो आपको है कि ये सब आपके लिए भी हो सकते हैं या
नहीं। हमसे केवल यह विश्वास ले सकते हो कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो ये सब आपके लिए ही है। दिन-रात आपके जहन में उठ रहे
सवालों के जवाब संभवत: यहां मिल जाएं। संभवत: क्या हमें तो यह पूरा यकीन है कि आपकी
वह तलाश आज के बाद पूरी हो जाएगी। इसके लिए कुछ बातें बेहद जरूरी हैं-वे ये
हैं-पहली शर्त तो यह है कि आपको इन पन्नों को अथ से इति तक पूरा पढ़ऩा होगा। दूसरी शर्त है-यहां पूछे गए सवालों के जवाब आपको ईमानदारी
से तलाशने होंगे, साथ ही मनन भी करना
होगा। तीसरी बात यह है कि आपको इसमें कोई बात कड़वी लगी हो तो हमसे शिकायत नहीं करेंगे।
ये पन्ने हमने आपके लिए लिखे हैं। यह हमारी कोई रायशुमारी नहीं है, हो सकता है आपको हमारी कही गई बातें नहीं भाए और
यह भी हो सकता है कि किसी की जिंदगी ही बदल जाए। हमारी कही गई एक पंक्ति से आपकी आंखों में एक चमक जग जाए या आंख झलक जाएं, तो हम समझेंगे कि
हमारा यह अल्प प्रयास कुछ तो सार्थक हुआ।
बात को शुरू करें इससे पहले यह बता देते हैं कि
यहां जो कुछ कहा जाने वाला है वह कड़वा और कषैला है। खरी बात कड़वी होती है-यह सब
जानते है। यहां कोई अच्छी-अच्छी बातें ही नहीं कही गई होगी, खोटी-खोटी, मगर सुखद अनुभूति
देने वाली जरूर होगी, क्योंकि इनमें रोशनी
है, रास्ता है, सपना है। जहां ये तीनों बातें होती हैं वहां
आदमी का लगाव स्वभाविक-सा हो जाता है। शायद
यही बात आप पर भी लागू होगी, क्योंकि आखिरकार आप
भी तो अपने जीवनयात्रा में इन्हीं चीजों की तलाश कर रहे हैं। इंसान को उसका सपना
दौड़ता है। उसके लिए उसे अच्छे और एक सुखद रास्ते की जरूरत होती है। एक हल्की-सी आशा की किरण ही उसका सम्बल बन जाती है
और वह उस रोशनी को छूने दौड़ पड़ता है। काश!! कहीं से कोई रास्ता मिल जाए और जीवन
में चमत्कार हो जाए-ऐसी आशा हमेशा लगी रहती है। मनुष्य अपने जीवन में न जाने कितनी
ही बार, कितने ही मौकों पर
भगवान् को कोसता है, शिकायत करता है कि
हे भगवान् तूने मुझे ऐसा मौका क्यों नहीं दिया, जिससे में अपने जीवन में कुछ कर पाता। कुछ चमत्कार करता।
मुझे केवल एक मौका तो देता।
परन्तु तूने नहीं दिया। काश!! तू!! मुझे एक मौका दे दे!!
हम समझते हैं कि जीवन में कुछ करने की आपकी वह
आशा यहां मिल सकती है।
आपके इस काश !! शब्द को जिंदगी से हटाने-मिटाने के
लिए ही हम यहां उद्दत हैं। इन पन्नों को पढि़ए, कहीं कोई रत्न आपके हाथ लग जाए।
यहां पर जब रोशनी-रास्ता और सपने-इन तीनों की बात चल रही हो
तो जरूर कोई बात कहीं-कहीं पर काफी विस्तार से कही होगी, क्योंकि कई बातें बार-बार विस्तार से कहने पर ही
समझ में आने वाली होती हैं। फिर लोग तो लोग ही हैं, समझ में ही नहीं आता। कई लोगों को बात समझाने का अर्थ होता
है अपना माथा फुड़वाना। ऐसे में कोई बात जरूरत से कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गई है, इससे कइयों का भला ही होगा-यह हम मानते हैं। इसे
आप बातूनी शैली कर सकते हैं। इन पूरे पन्नों में एक बहस या चर्चा की गई है, अत: इसे चर्चा शैली भी कह सकते हैं। हां हमने
भाषा की सरलता का विशेष ध्यान रखा है। ताकि बात समझ में आ जाए और सभी का कल्याण
हो। फिर तो इसके लिए हमको माफी-वाफी मांगने की परिपाठी को निभाने की भी जरूरत नहीं
होनी चाहिए। कितना अच्छा हो कि आप इन पंक्तियों को ही हमारा एक माफीनामा समझ लें, ताकि आपको किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं रहे। इसीलिए हमने
अपनी बात की शुरुआत ही “माफ कीजिए” से ही
शुरू करनी पड़ी है। हमने अपनी बात की पुष्टि करवाने के लिए कबीरजी को खड़ा किया
है। कबीर साहेब के बारे में बताना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है। हम जो इस प्रोजेक्ट के सम्बन्ध
में लोगों की जिस मानसिकता की बात कर रहे हैं वही बात कबीरजी कह रहे हैं। अवसर और
विषय अलग हो सकते हैं, भाव समान है।
हम जो आपके लिए जिस मुकाम की बात कर रहे हैं वह
नेटवर्क बिजनेस प्रोजेक्ट
है। वर्तमान में यह प्रोजेक्ट अनेक रूपों में आपके सामने आता है। हम किसी कम्पनी
या संस्था का बखान नहीं कर रहे हैं। सिर्फ एक नेटवर्क बिजनेस कॉन्सेप्ट की चर्चा कर रहे हैं। इस कॉन्सेप्ट की ओर
आपका मेहरबानी भरा ध्यान आकर्षित करना है और यह दिखाना है कि यह क्या है? कैसा है? और यह क्यों है? इससे आप कैसे फायदा उठा सकते हो? अपनी जिंदगी को कैसे स्वर्ग-सी बना सकते हो? यह प्रोजेक्ट आपकी जिंदगी की तमाम
जरूरतों-चाहतों और सपनों को पूरा कर सकता है, इसलिए यह आपके लिए बड़ा अहम् है। यह बताने व जताने के लिए कई
जगह हमने आग्रह की भाषा बोली है, इसके पीछे हमारी
भावना आपको ऊंचा उठाने की है। क्या आप इस आग्रह को भूल जाएंगे? आप यह माने या न माने मगर हम यह जरूर मानते हैं कि
यह प्रोजेक्ट आपका है और आपके लिए ही बना है। इसमें शामिल होने के लिए रास्ते में
आने वाली सारी समस्याओं को हल कर दिया है और रास्ता एकदम साफ-सुथरा कर दिया है। आप
इसमें जरूर शामिल होंगे और हम आपकी सफलता के उत्सव में आपके साथ होंगे।
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